( तर्ज - भले वेदांत पछाने हो ० ) .
गुरूका नाम रट भाई !
पडेगा फिर उजाला है ।
हटेंगे कामसम बैरी ,
गुरू जब मंत्र डाला है || टेक ||
बचन सुन कर्णसे उनका ,
राह चल जगतमें वैसी ।
फटेंगे भेद आलसके ,
दिखेगा रूप आला - है ॥ १ ॥
गुरूबिन जोभी पढ़ जावे ,
वह बिरथाही समय खोवे ।
अगर गुरु ग्यान दे पावे ,
खुलेगी घटकि माला है ॥२ ॥
भ्रमरकी है गुफा प्यारी ,
लखो फिर नैन - उजियारी ।
चमकती है सदा तारी ,
गुरूबिन बंद ताला है ॥ ३ ॥
कहे तुकड्या समझ धरके ,
गुरूको पूछ यह पहलें ।
पिंडब्रह्मांडकी बाते ,
खबर कर हो निराला है ॥४ ॥
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